विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्यो में नियोजित श्रमिकों के कल्याण के लिए केन्द्र सरकार द्वारा दो अधिनियम बनाये गये हैः–
- भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996 जिसमें निर्माण
श्रमिकों के पंजीकरण एवं कल्याणकारी योजनाओं का प्राविधान है, जिसके कार्यान्वयन हेतु राज्य सरकार द्वारा वर्ष, 2005 में
राज्य नियमावली विनिर्मित की गई है।
- भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम, 1996 तथा केन्द्रीय उपकर नियम, 1998 जिसमें
कल्याणकारी योजनाओं के लिए धनकी व्यवस्था हेतु निर्माण अधिष्ठानों से उपकर प्राप्त किये जाने का प्रावधान है।
उक्त अधिनियमों एवं नियमों के अन्तर्गत निर्माण श्रमिकों को हितलाभ सुनिश्चित किये जाने के लिए "उत्तराखण्ड
भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड" का गठन शासन की अधिसूचना संख्याः 2178, दिनांकः31-10-2005
द्वारा किया गया है। वर्तमान में कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष, प्रमुख सचिव, श्रम विभाग, उत्तराखण्ड शासन तथा सचिव कल्याण बोर्ड,
श्रम आयुक्त को नामित किया गया है।
"भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम, 1996" एवं "भवन एवं
अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम, 1998" के प्रावधानों के अनुसार निर्माण प्रतिष्ठानों के सेवायोजना
द्वारा निर्माण कार्य की लागत का 1% की दर से उपकर की धनराशि कल्याण निधि में जमा किये जाने का प्रावधान है।
भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कौनहै तथा फायदाग्राही कैसे बन सकते हैॽ
सरकारी एवं गैर सरकारी भवनों के निर्माण और अन्य निर्माण कार्यों में कार्यरत निर्माण कामगार द्वारा जिसने 18 वर्ष की
आयु पूर्ण कर ली हो तथा अधिवर्षता आयु 60 वर्ष पूर्ण न किये हों, पूर्ववर्ती 01 वर्ष के दौरान कम से कम 90 दिन निर्माण
श्रमिक के रूप में कार्य किया हो, अपना पंजीकरण करा सकता है, जो पंजीकरण की तिथि से आगामी 03 वर्ष हेतु वैध होगा।
निर्माण श्रमिक को पंजीकरण नवीनीकरण हेतु तीन वर्ष की समाप्ति से पूर्व धनराशि रूपया 100 ⁄– संबंधित पंजीकरण कार्यालय
में जमा कराया जाना अनिवार्य होगा, जहाँ की वह निर्माण श्रमिक के रूप में पूर्व में पंजीकृत है। पंजीकरण के समय निर्माण
श्रमिक को अपने प्रार्थना पत्र के साथ पासपोर्ट आकार के 02 फोटो, आयु का प्रमाण–पत्र तथा विगत वर्ष मं कम से कम ९०
दिन निर्माण श्रमिक के रूप में कार्य करने का प्रमाण–पत्र भी प्रस्तुत करना आवश्यक है। निर्माण श्रमिक द्वारा अपने कानूनी
वारिसों के नामांकन हेतु नामांकन–पत्र भी भरा जाना आवश्यक है। पंजीकरण अधिकारी द्वारा निर्माण श्रमिका पंजीकरण करके
पहचान–पत्र भी जारी किया जाता है।